छःमुहान जाम: बस चालकों की मनमानी बनी आम जनता की रोज़मर्रा की मुसीबत | Chhahmuhaan bus stand


गर्मी हो या बारिश, जाम में फंसी सांसें अब प्रशासन से जवाब मांग रही हैं

पलामू : छःमुहान बस स्टैंड के आसपास रोजाना लगने वाला जाम अब आम जनता की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है — एक ऐसा हिस्सा, जो केवल परेशानी, गुस्से और बेबसी से भरा है। इस जाम की जड़ में है बस चालकों की मनमानी और अब तक की प्रशासनिक निष्क्रियता। पहले यह नियम तय किया गया था कि जैसे ही बस बस पड़ाव से खुलेगी, वह बिना कहीं रुके सीधे अपने गंतव्य की ओर बढ़ेगी। उद्देश्य यह था कि रास्ते में सवारी लेने के चक्कर में ट्रैफिक बाधित न हो। लेकिन कुछ ही दिनों में यह नियम हवा हो गया। अब बसें स्टैंड से खुलते ही धीमी रफ्तार में छःमुहान की ओर रेंगती हैं और जहां-जहां सवारी दिखाई देती है, वहीं रोक दी जाती हैं। बस के आगे सड़क खाली होती है, लेकिन पीछे जाम में फंसे लोगों की लंबी कतारें होती हैं। तो वहीं कुछ बस सड़क पर ही खड़ा कर बस की सफाई कर रहे होते हैं जिसे ट्रैफिक बाधित होता है।  दोपहिया, चारपहिया वाहन, ऑटो, ई-रिक्शा — सब एक ही कतार में पसीना बहाते खड़े मिलते हैं। यह परेशानी गर्मी और बरसात दोनों मौसमों में बराबर बनी रहती है।

इस मुद्दे पर जब ट्रैफिक प्रभारी शामल अहमद से बात की गई, तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। "बस चालकों को चिन्हित कर तत्काल चालान काटा जाएगा। कोई भी बस जो स्टैंड से छःमुहान या जेलहाता की ओर जाएगी, वह रास्ते में नहीं रुकेगी। अगर कोई बस रुकती है, तो उसके खिलाफ चालान की कार्रवाई होगी," उन्होंने सख्ती से कहा। उन्होंने यह भी बताया कि एसपी महोदया का सख्त निर्देश है कि दिन के 11 बजे से 3 बजे तक किसी भी खाद्य सामग्री लाने वाले वाहन को शहर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इन्हें शहर के बाहर रोक दिया जाएगा, क्योंकि दोपहर 1 बजे से स्कूल बसों की टाइमिंग शुरू हो जाती है और सबसे पहले स्कूल बसों को निकाला जाएगा ताकि ट्रैफिक बाधित न हो। शामल अहमद ने भरोसा दिलाया कि "ऐसी मनमानी किसी भी बस चालक की नहीं चलेगी।"

अब देखना यह होगा कि प्रशासन अपने वादों पर कितनी सख्ती से अमल करता है। क्योंकि आम जनता अब थक चुकी है — ट्रैफिक में फंसकर, धूप में पिघलकर और रोज़-रोज़ अपने समय और धैर्य की आहुति देकर। यह सिर्फ एक ट्रैफिक की समस्या नहीं है — यह एक व्यवस्था की असफलता की कहानी है। अब समय है कि प्रशासन अपने दावों को ज़मीन पर उतारे और जनता को राहत दे।

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