पलामू : पूरा देश संत शिरोमणि रविदास के 648 वें जयंती मना रहा है। मैं अपने संत मरियम विद्यालय में बच्चों संग संत रविदास जी के तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहर के विभिन्न पूजा स्थलों पर जाकर उनको नमन किए। बारालोटा आंबेडकर नगर में आंबेडकर नौजवान क्लब द्वारा संत रविदास जयंती समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। क्लब के अध्यक्ष फूलमाला अंगवस्त्र देकर स्वागत किए। अपने संबोधन में हमने कहा सैकड़ों साल के बाद भी संत शिरोमणि रविदास जी की प्रशंगिता ऊर्ध्व पर है। आखिर ऐसी क्या बात है? अंधविश्वास, छुआछूत जातिवाद चरम पर था तब मध्यकाल में भक्ति आंदोलन चला। संत कबीर नानक मीरा रैदास सबों इसके खिलाफ लड़ा। इस आंदोलन के अग्रणी भूमिका में संत रैदास रहे और जातिवाद के खिलाफ चोट किए। आज भी हमारा समाज समरूप नहीं है, इसलिए संत रविदास के आदर्श विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है, क्योंकि रविदास भारतीय समाज में समरसता के प्रतीक थे जिन्होंने प्राणी मात्र के कल्याण की महता को बताया है। आगे हमने कहा की हम तन को धुलने के लिए पवित्र स्नान तो कर सकते हैं लेकिन मन को धुलने के लिए खुद की चेतना मे उतरना होगा तभी हम देश व समाज के प्रति अपने विचारों भावनाओं, व संवेदनाओं को स्वच्छ कर सकते हैं, इसीलिए संत शिरोमणि ने कहा था मन चंगा तो कठौती में गंगा। हम युवा पीढ़ी से आह्वान करना चाहेंगे आप संत रविदास के बताए रास्ते पर चलें और भारत को विश्वगुरु बनाने में अपनी महती भूमिका निभाएं।
Tags
पलामू