सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं : उप विकास आयुक्त |Child marriage, woman, child violence and de -addiction


जन भागीदारी और जन-जागरूकता से समाज में हिंसा, नशामुक्ति व कुप्रथा की रोकथाम में मिलेगी सफलता

बाल विवाह, महिला, बाल हिंसा एवं नशामुक्ति को रोकने तथा किशोरी सशक्तिकरण को लेकर जिलास्तरीय कार्यशाला आयोजित

सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं होता। किसी को अधिकार हनन व फिजिकल रूप से आघात पहुंचाने की अनुमति नहीं है। हर व्यक्ति को जीवन जीने का अधिकार है। हिंसा का प्रतिकार होनी चाहिए। हिंसा व कुप्रथा की रोकथाम के लिए कानूनी प्रावधान भी है। साथ ही समाज में जागरूकता के कार्य किए जा रहे हैं। महिला एवं बाल हिंसा की रोकथाम में सभी की भागीदारी आवश्यक है। वहीं सभी स्टेक होल्डर्स की अहम भूमिका है। जन भागीदारी और जन-जागरूकता से समाज में हिंसा, नशामुक्ति व कुप्रथा की रोकथाम में सफलता मिलेगी। यह बातें उप विकास आयुक्त शब्बीर अहमद ने कही। वे आज बाल विवाह, महिला एवं बाल हिंसा तथा नशामुक्ति को रोकने तथा किशोरी सशक्तिकरण को लेकर आयोजित जिलास्तरीय कार्यशाला में बोल रहे थे। जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन समाहरणालय सभागार में किया गया। 

उप विकास आयुक्त ने बच्चों के अधिकार एवं संरक्षण को सुनिश्चित करने हेतु जिला वार्षिक कार्य योजना के क्रियान्वयन एवं संबंधित विभागों के समन्वयन हेतु बल दिया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में सकारात्मक चर्चा होगी और समाज में इसका सकारात्मक संदेश पहुंचेगा। 

सिविल सर्जन डॉ. अनिल सिंह ने नशामुक्ति को लेकर जानकारी साझा करते हुए इसके रोकथाम में सभी को सहयोगी बनने की अपील की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जा रही महत्वपूर्ण सेवाओं की जानकारी दी। जिला शिक्षा पदाधिकारी सौरभ प्रकाश ने स्कूलों में चलाये जा रहे जागरूकता अभियान की चर्चा की। श्रम अधीक्षक ने बच्चों के बचाव एवं पुनर्वास से संबंधित पहलुओं पर प्रकाश डाला। 

कुप्रथा मिटाने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता

लीगल एड डिफेंस काउंसिल के डिप्टी चीफ संतोष पाण्डेय ने बाल विवाह, महिला एवं बाल हिंसा की रोकथाम को लेकर कानूनी पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समाज में अशिक्षा एक चुनौती है। आपसी सहयोग से हमें कुप्रथा को मिटाने में सफलता मिलेगी। समाज में कुरीतियों एवं कुप्रथाओं की रोकथाम के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) की ओर से जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। उन्होंने पोक्सो एक्ट, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, लिंग परीक्षण संबंधी कानून, मुआवजा योजना आदि के लिए बने कानूनी प्रावधान तथा डालसा, झालसा एवं नालसा की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम एवं गतिविधियों के बारे भी जानकारी दी। 

यूनिसेफ/एक्सआईएसएस के परियोजना निदेशक डॉ. तबरेज ने जिला कार्ययोजना हितधारकों की भूमिका और इसके महत्व पर चर्चा की। जेएसएलपीएस की डीपीएम अनिता केरकेट्टा एवं डीएमएसडी प्रवीण कुमार ने लैंगिक समानता और जेएसएलपीएस की भूमिका पर प्रकाश डाला। एनडीएफ के प्रतिनिधि सचिव हरेंद्र कुमार ने जागरूकता अभियानों एवं समर्थन कार्यों की जानकारी दी। इसके अलावा अन्य प्रतिनिधियों ने कार्यों की जानकारी दी। 

कार्यशाला का संचालन व विषय प्रवेश जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नीता चौहान ने किया। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। 

कार्यशाला में जिला पंचायत राज पदाधिकारी विनय कुमार श्रीवास्तव, एनडीसी विक्रम आनंद सहित जिलास्तरीय अन्य पदाधिकारी एवं स्टेक होल्डर्स उपस्थित थे।

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