रामचरितमानस के मूल्यों को आत्मसात करने की जरूरत : रूचिर तिवारी | Bhartiye Communist Party


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव रूचिर कुमार तिवारी ने ग्राम जोड़ में आयोजित श्री रामचरितमानस नवाह पारायण पाठ महायज्ञ के 38वें अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है, जिसका विस्तार से वर्णन श्री रामचरितमानस में मिलता है। युवा पीढ़ी को इस ग्रंथ को पढ़ने और इसके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है, जिससे समाज में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना हो सके।
   रूचिर तिवारी ने कहा कि श्रीराम केवल मानव जाति ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों और समस्त जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम और करुणा का संदेश देते हैं। उन्होंने गिद्धराज जटायु को पुत्रवत स्नेह देकर लकड़ियों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया, वहीं वानर और भालुओं के सहयोग से रावण के खिलाफ युद्ध लड़ा।उन्होंने श्रीराम के जीवन से जुड़े अनेक उदाहरणों का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीराम ने जाति-पाति से ऊपर उठकर प्रेम और समानता का संदेश दिया। उन्होंने शबरी के झूठे बेर खाकर यह साबित किया कि समाज में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसी तरह, माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने 14 वर्षों तक वनवास स्वीकार किया, जो उनके आदर्शों को दर्शाता है।
   रूचिर तिवारी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को श्री रामचरितमानस के मूल्यों को समझने और अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है। इस ग्रंथ में जीवन प्रबंधन, पारिवारिक मूल्यों, सामाजिक समरसता, त्याग और कर्तव्यपरायणता की शिक्षा दी गई है। यदि आज के युवा इन मूल्यों को आत्मसात कर लें, तो समाज में नैतिकता और संस्कारों का पुनर्जागरण हो सकता है।
    इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कमलेश तिवारी ने किया, जबकि अध्यक्ष अनुज मिश्रा, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह, मुकेश तिवारी, रामराज तिवारी, चंद्रशेखर तिवारी, मृत्युंजय तिवारी, आलोक कुमार तिवारी, रणजीत राम, अरविंद सिंह, सुमेर मिश्रा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने एकमत होकर कहा कि श्री रामचरितमानस केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जिसे अपनाकर समाज में प्रेम, समरसता और नैतिक मूल्यों को स्थापित किया जा सकता है।

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