बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर संत मरियम स्कूल में शिक्षक-अभिभावक संवाद हुआ संपन्न
प्रतिनिधि, पलामू। मौजूदा दौर में मात्र परीक्षाओं में अर्जित अंक ही बच्चों के विकास और चरित्र का दर्पण माना जाता है। प्राप्तांक किसी विषय विशेष में मात्र ज्ञान के सूचक भर है, चरित्र की गुणवत्ता का मापक तो बिल्कुल भी नहीं। एक आदर्श नागरिक बनने में अच्छे अंकों के साथ अच्छे नैतिक मूल्य एवं आचरण का मिश्रण भी आवश्यक है, जिसे विकसित करने के लिए रविवार को कजरी स्थित संत मरियम विद्यालय परिसर में शिक्षक-अभिभावक संवाद का आयोजन किया गया। विद्यालय के चेयरमैन अविनाश देव, प्राचार्य कुमार आदर्श, किड्स स्कूल निदेशक आनंद कुमार, उप प्राचार्य, समन्वयक व अन्य शिक्षकों ने संयुक्त रूप से दीप-प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात् विद्यालय में अध्यनरत बच्चों ने स्वागत गान व क्षेत्रीय नृत्य के साथ कार्यक्रम में आये अतिथियों व अभिभावकों का आदर के साथ अभिनंदन किया। साथ ही, सामाजिक कुरीतियों व गंभीर विषयों को नाटक के माध्यम से अभिभावकों के बीच प्रस्तुत किया। इसके उपरांत, विद्यालय के प्राचार्य ने नई शिक्षा नीति व इनमें किये गये आदर्श बदलाव को अभिभावकों के साथ साझा किया तथा बच्चों के प्रति शिक्षकों एवं अभिभावकों के नैतिक मूल्यों व उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर प्राचार्य, शिक्षकों एवं अभिभावकों के बीच घंटो भर संवाद चला, जहां अभिभावकों के मन में पनप रहे सवालों को भी सुलझाया गया। उक्त मौके पर अभिभावकों को संबोधित करते हुए चेयरमैन देव ने कहा कि अभिभावकों और शिक्षकों के बीच सकारात्मक संबंध होने से छात्रों में शिक्षा के प्रति बेहतर दृष्टिकोण विकसित होता है। साथ ही, बच्चों के सपनों को नई उड़ान मिलती है, जिससे कि छात्र अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को हासिल करने मे सफल हो पाते हैं। इसके लिए अभिभावकों और शिक्षकों के बीच संवाद होना अतिआवश्यक है। इससे अभिभावकों व शिक्षकों को छात्रों के कमज़ोर क्षेत्रों का पता चलता है और उन्हें उसमें सुधार लाने में मदद मिलती है।
आगे उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थियों के जीवन की शैली में जो परिवर्तन आया है, वो सबसे अधिक संस्कारों का है। आज का विद्यार्थी मेधावी व इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक रुचि रखता है, लेकिन सुसंस्कारित नहीं है। अच्छे संस्कारों की कमी के कारण वह उचित उठन, बैठन, बोल-चाल, बड़ों के प्रति आदर-सत्कार एवं माता-पिता व गुरुजनों के सम्मान में रुचि नहीं दिखाता। इन सबका कारण माता-पिता के समय अभाव एवं संयुक्त परिवार का कम होना है। प्रत्येक माता-पिता यह उम्मीद करते हैं कि उनका बच्चा बेहतर शिक्षा ग्रहण करे, उन्हें अच्छे संस्कार स्कूल में शिक्षक भी सिखाएं। विषय ज्ञान के लिए विद्यार्थीगण उत्तरदायित्व हैं, लेकिन संस्कारों का वास्तविक प्रयोगशाला तो घर एवं परिवार ही है, जहां बच्चों के व्यवहारों एवं संस्कारों का वास्तविक प्रयोग होता है। आज के शिक्षक एवं छात्र दोनों ही अंकों के खेल में व्यस्त हो गए हैं। उनका एक ही लक्ष्य सर्वाधिक अंक लाकर कुछ बनने का होता है। अध्यापक भी छात्रों के सर्वांगीण विकास के स्थान पर मानसिक विकास पर केंद्रित होने लगे हैं। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में बच्चों को नेक नागरिक या अच्छा इंसान बनाने की पहलू से अभिभावक व शिक्षक अछूते रह जाते हैं, इसीलिए अभिभावकों व शिक्षकों को बच्चों के प्रति अपने दायित्व के महत्त्व को समझना होगा। कार्यक्रम का संचालन उप प्राचार्य एस. बी. साहा ने किया। मौके पर संत मारियम किड्स स्कूल के निदेशक आनंद कुमार, मेंटर्स एडुसर्व शैक्षणिक संस्थान के अकादमी मुख्य राहुल राजा, प्रवीण दुबे, समन्वयक अमरेंद्र कुमार, निकिता गुप्ता समेत समस्त शिक्षक व हजारों अभिभावकगण मौजूद रहे।