पलामू का इतिहास कई मायने में देश भर में दिलचस्प रहा है। भूखा सूखा पलायन आतंक शोषण जुल्म सुदूर सनसनीख़ेज़ खबरों के लिए पलामू सुर्खियों में रहा। आज भी देश के आकांक्षी जिलों में पलामू सुमार है शिक्षा स्वास्थ्य लचर है केंद्रीय मंत्री रिपोर्ट लेकर गए। बंधुआ मजदूरी चर्चा में आया तो कैलाश सत्यार्थी जैसे पलामू आए और नोबेल पाए। छेयासठ का अकाल पड़ा तो गाड़ी गांव में प्रधानमंत्री मकई के घाठा खाए,आदमखोर मनातू मऊआर का आतंक बढ़ा तो नवादा से चल कर लालचंद साहू आए और लड़े। सामंती धाक चरम पर हुआ तो लेखिका महाश्वेता देवी पलामू पहुंची। जब पलामू जमींदारों के जुर्म से सुर्ख होने लगा तो उसके गर्भ से बजरंगी प्रजापति का जन्म हुआ। पलामू के पांकी जमींदारों का गढ़ मना जाता है जहां कभी लाल फ़रेरे इसके खिलाफ लड़े। आज भी पांकी में शोषण दमन कम नहीं हुआ है। बजरंगी प्रजापति नेपथ्य में रह कर सामंती शक्तियों से ताउम्र लड़े और समाज को आगे बढ़ाने में मरते दम तक महती भूमिका निभाए। सामाजिक संगठन से जुड़ कर समाज में हो रहे दमन को रोकने मुकाबले करने हर मोर्चे पर अपना जान जोखिम में डाले। अपने मित्र के बेटी चंदा की जब हत्या हुई तो प्रजापति संगठन के पलामू जिला अध्यक्ष से मिल कर सहयोग लिया और हत्यारे को सलाखों के पीछे डालने का काम किया,लड़ाई को निर्णायक मोड़ तक ले गए। ऐसी अनेकों घटनाएं है जिसको बजरंगी प्रजापति अपने नेतृत्व में मुखर होकर मुंहतोड़ जवाब दिया और जंग को जीते। एक सामान्य बीमारी लकवा उनको अपना ग्रास बनाया और 2022 के 31 दिसंबर को जाते साल के साथ ही अहले सुबह काल के गाल में चले गए। इस अपूरणीय क्षति से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई,समाज सकते में आ गया।इस अपूरणीय क्षति को कभी हम भरपाई नहीं कर सकते हैं।जनवितरण के दुकान से जिंदगी को शुरुआत करने वाला व्यक्ति आज महापुरुष बन गया। चाहने वालों के दिल और दिमाग पर बजरंगी प्रजापति के विचार ऐसे छाया की आज उनकी स्मारक बन कर तैयार है।
झारखंड कुम्हार समन्वय समिति पलामू द्वारा उनके प्रतिमा को लगाया गया प्रखंड कमिटी पांकी भूमिका निभाया। प्रतिमा अनावरण समारोह में बतौर अनावरणकर्ता शामिल हुए। आदमकद प्रतिमा व शिलापट्ट से पर्दे को खींच कर लोकार्पण किए। दिवंगत बजरंगी प्रजापति के पत्नी के साथ प्रतिमा पर माल्यार्पण पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किए गगनभेदी नारे लगाए। पांकी प्रखंड कमिटी के लोगों ने शानदार स्वागत किए शोक को शक्ति में बदले पुष्पगुच्छ अंगवस्त्र देकर स्वागत किए। कमिटी के वरिष्ठ साथी और उनके समकालीन सदस्य संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के मूर्ति को देकर बजरंगी जी के विचारों को आगे बढ़ाने की अर्जी लगाए। श्रद्धांजलि सभा सह अनावरण समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हमने कहा बजरंगी प्रजापति के प्रतिमा क्रांति के तलवार के धार को तेज करेगा और समाज को आगे बढ़ने की निरंतर प्रेरणा देता रहेगा। हम सबों की नैतिक जवाबदेही है उनके विचारों को प्रसारित करें।
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