देवम इंस्टीट्यूट ने 14 वर्षीय अनुष्ठान का नि:शुल्क शिक्षा का उठाया बीड़ा
पलामू। देवम का अर्थ है ईश्वर और ईश्वर किसी के साथ भेद नहीं करते क्योंकि उन्हीं के सब संतान हैं। हमारा देश ऋषि परंपरा का रहा है जहां गुरुकुलीय व्यवस्था था। वहां कृष्ण सुदामा एक साथ पढ़ें। भक्तिकाल के दौर में रामानंद ने एक तरफ कबीर रैदास को शिक्षा दीक्षा दिए तो एक तरफ पीपा धन्ना भारतभूषण को भी दिए। हम गर्व करते हैं और पलामू वासियों को गर्व करना चाहिए कि उसी गुरुकुलीय परंपरा का वाहक है देवम इंस्टीट्यूट। वैसे बच्चे जिनके सर से माता -पिता का साया उठ गया है वे बच्चों के लिए देवम इंस्टीट्यूट मसीहा बन कर उभरा है। आज वैसे ही एक चौदह वर्षीय बच्चा अनुष्ठान कुमार जिनको देवम इंस्टीट्यूट परिवार निःशुल्क पढ़ाने का बीड़ा उठाया। इस शहर व प्रमंडल के लिए देवम इंस्टीट्यूट शिक्षा का सरताज बना हुआ है, जहां बच्चों के उज्ज्वल भविष्य से सूर्य की तरह ललाट चमक रहा है। तमाम पलामू वासियों को ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ,वैसे विद्यार्थी जो देवम इंस्टीट्यूट के आहर्ता पूरा करता हो निसंकोच लाएं और बच्चे को जिंदगी संवारने का काम करें। इस मामले में देवम इंस्टीट्यूट के निदेशक के शुक्रगुजार हूं जिन्होंने यतीम लाचार बेबस विद्यार्थियों के लिए सोचा और कार्य व्यवहार को धरातल पर उतारा। वह दिन दूर नहीं जब देवम इंस्टीट्यूट शिक्षा में क्रांति करेगा और टुअर रेंगा पढ़ कर अधिकारी बनेगा तब एक दिन बोलेगा इंकलाब जिंदाबाद देवम इंस्टीट्यूट जिंदाबाद! प्रबंध निदेशक आर एन सिंह,एकेडमिक डायरेक्टर यू एस चौबे,प्रवीण दुबे जी,मनीष पाठक,रजनीकांत पांडेय को इस सामाजिक रचनात्मक कार्य के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। हमे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है देवम इंस्टीट्यूट का कार्य परवान चढ़ेगा और कोटा का रुख पलामू की ओर होगा। देवम के उज्ज्वल भविष्य की हम कामना करते हैं।
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