मेदिनीनगर। उन दिनों का साथी,जब हम संघर्ष कर रहे थे। हम दोनों में कोई पर्दा नहीं था और एक रोटी झपट कर खाते थे, पानी-भात पर मार कर देते थे। जब पास में रुपये नहीं होते थे, तब पॉकेट की पूंजी एक-दूसरे को समौसा खिलाने में निधड़क निकलती थी। उन दिनों आत्मरक्षा के लिए कोई बढ़िया डंडा नहीं होता था, किंतु शरारती हमलावरों को संगठित होकर मुकाबला करते और देख लेने का धमकी भी देते थे। हाउसिंग कॉलोनी की वह वीरान जगह, जहां मेरा गुलजार बचपन गुजरा और जवानी के दहलीज पार करते आज शोहरत के इस मुकाम पर हूं, तब वह साथी आज अपना भरा-पूरा परिवार छोड़कर मुझसे बिछड़ गया। वह मेरा सहयोद्धा था, हमराही था, आगे चलकर संतराम बीए, पेरियार के विचारों से प्रेरित होकर जाति-बंधन को तोड़ते मेरा रिश्तेदार बना। आज जब उसकी अर्थी पर कंधा लगाया तो मेरा हृदय फट गया, विचलित हूं। बूढ़ा बाप के विलाप व युवा पत्नी की दहाड़ से मेरा मन मर्माहत है। उक्त बातें संत मरियम विद्यालय के चेयरमैन अविनाश देव ने शवयात्रा व दाह-संस्कार में शामिल होते हुए नम आंख व कंपकंपी ज़ुबां से कही। उन्होंने बुझे मन से साथी संजय राय उर्फ़ छोटू को अलविदा कहा। उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जहां रहो मेरे दोस्त, दिव्य ज्योति से मेरे ऊपर नजर रखना व कृपा बरसाना, तुम मेरे दिल में रहोगे, तुम्हारे अधूरे सपनों को मैं मंजिल तक पहुंचाऊंगा। इस दुःखद क्षण में मैं परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।
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पलामू