पलामू के डाल्टनगंज पुलिस लाइन क्षेत्र मेजर मोड़ के पास हुई एक दर्दनाक घटना ने प्रशासन और सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्वडीहा के रहने वाले मुखराम दुबे, जो दिन में दूध बेचकर और रात में गार्ड की नौकरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, अवैध तरीके से सड़क पर डंप किए गए बालू के कारण अपनी जान गंवा बैठे।
गुरुवार की देर रात पुलिस लाइन मेजर मोर के पास सड़क पर बालू का एक बड़ा ढेर गिरा दिया गया। यह बालू एक प्रभावशाली व्यक्ति के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट से जुड़ा था। बालू गिराने के कुछ ही देर बाद, मुखराम दुबे और एक अन्य व्यक्ति अपनी बाइक से काम पर जा रहे थे। ढेर के कारण उनकी बाइक फिसल गई और गंभीर चोट लगने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
आश्चर्यजनक बात यह है कि जब कोई गरीब या मध्यम वर्गीय व्यक्ति बिना नक्शा पास कराए घर बनाने की कोशिश करता है, तो नगर निगम तुरंत वहां पहुंच जाता है। कारण? वहां "लेन-देन" का फायदा होता है। लेकिन जब सड़क पर बालू गिराकर जनता की जान खतरे में डाली जाती है, तब कोई अधिकारी नजर नहीं आता। अगर समय रहते इस पर रोक लगाई गई होती, तो शायद मुखराम दुबे आज अपने परिवार के साथ होते। मुखराम की मौत के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस लाइन मेजर मोड के पास सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि रसूखदारों की मिलीभगत से ऐसे निर्माण कार्य चलाए जाते हैं, जिनमें आम जनता की सुरक्षा की कोई परवाह नहीं की जाती। ग्रामीणों ने कहा, "मुखराम जैसे मेहनतकश इंसान की मौत ने दिखा दिया कि यहां बड़े आदमी की जान कीमती है और गरीबों की जान सस्ती।"
यह मामला भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 106 (सार्वजनिक स्थान पर खतरा पैदा करना) और धारा 125 (लापरवाही के कारण मृत्यु) के तहत आता है। यदि बालू डंप करने वाले रसूखदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तो यह न केवल कानून का मजाक होगा, बल्कि भविष्य में और भी घटनाओं को न्योता देगा। मुखराम दुबे का जीवन संघर्ष से भरा हुआ था। रात में गार्ड की नौकरी और दिन में दूध बेचकर वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनकी मेहनत से परिवार की जिंदगी किसी तरह चल रही थी, लेकिन एक लापरवाही ने सबकुछ छीन लिया। उनके परिवार के पास न तो कोई स्थायी आय है और न ही न्याय की उम्मीद।