नेताओं का नया अवतार: जनता बनी देवता, वादे बने प्रसाद |Assembly Election Palamu


चुनावी मौसम का असर सिर्फ मौसम पर नहीं, बल्कि नेताओं के बोल-चाल और व्यवहार पर भी साफ दिख रहा है। जहां पहले नेताजी अपने समर्थकों के बीच जाते थे, अब वो जनता के बीच ऐसे जा रहे हैं जैसे कोई साधु-महात्मा! फर्क सिर्फ इतना है कि यहां पूजा करने के बजाय नेताजी वोट मांगने आए हैं और जनता को "देव तुल्य" कहकर संबोधित कर रहे हैं।

"आप लोग भगवान हैं, हम तो सिर्फ सेवक हैं," नेताजी ने जोशीले अंदाज में कहा। सुनने वाले भी हैरान थे। आखिर कहां से आए ये नए शब्द? कुछ जनता के बीच बैठे लोग तो खुद अपनी सीट से उठकर देखने लगे कि कहीं वो सचमुच कोई मंदिर में तो नहीं बैठ गए!

पलामू के हालात इतने बदल गए हैं कि अब नेताजी लोग के द्वारा गुलाब के फूल नहीं, वादों की माला पहनाई जा रही है। बिजली मुफ्त, पानी मुफ्त, और तो और, कुछ नेता तो सीधे "सपनों का राज" देने का वादा कर रहे हैं, जिसमें सब कुछ बिना मेहनत के मिल जाएगा—सिर्फ एक बटन दबाने की जरूरत होगी। पर जनता भी कम नहीं है। वो समझ गई है कि नेताजी के ये "देव तुल्य" संबोधन चुनाव तक ही सीमित हैं। चुनाव खत्म, तो फिर वही पुराना धंधा—देवता बनते ही इंसान की तरह बरताव करेंगे।

तो, जब तक चुनावी मौसम है, आप भी देवता बनिए और नेताजी के ‘चरण स्पर्श’ का आनंद उठाइए, क्योंकि अगले पांच साल तक ये मौका शायद फिर से न मिले!


✍️करुणा करण

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