छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट कामेश्वरपुर थाना अंतर्गत शुक्रवार को तिब्बत वासियों के गांव स्थित भगवान बुद्ध के विशाल मंदिर में आयोजित नवाह पाठ कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि विश्व व्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वनरखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने पौधा दान कर किया। उन्होंने उक्त मौके पर बौद्ध भिक्षुओं को पर्यावरण धर्म के प्रार्थना व उसके आठ मूल ज्ञान मंत्रों की शपथ दिलाते हुए थाईलैंड प्रजाति के बारहमासी आम का पौधा दान किया। मौके पर पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने
कहा कि जिस तेजी से लोग अनाधिकृत रूप से आर्थिक लाभ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का शोषण व दोहन कर रहे हैं उसी का परिणाम है कि पृथ्वी का तापमान बेतहासा बढ़ता चला जा रहा है। फलतः ग्लेशियर पिघल रहे हैं व समुद्र से वाष्प बनकर आसमान में जा रहा है। जिसके कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसी जलवायु परिवर्तन के कारण ही 15 दिनों के अंदर गर्मी के मौसम होने के बाद भी चीन, दुबई, ओमान, व इंग्लैंड में मूसलाधार हुई बारिश के कारण कई गांव व शहर जलमग्न हो गए हैं।
वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल ने कहा है कि यदि जलवायु परिवर्तन को रोकना है तो दुनिया के तमाम उम्र के लोगों को अपने धर्म के साथ-साथ पर्यावरण धर्म के 8 मूल ज्ञान मंत्रों को अपने जीवन के दिनचर्या में शामिल करना होगा । कौशल ने कहा कि जब तक वन्य एवं उसके अलावे रैयति भूमि पर 33% सघन वन तैयार ना हो जाय तबतक जलवायु परिवर्तन कोई रोक नहीं सकेगा। इसके सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं है ।
पर्यावरण धर्म गुरु कौशल ने कहा है कि 34 वर्षों के बाद उस क्षेत्र के लोग उन्हें बुलाया है। उन्होंने पर्यावरण धर्म के तहत आम का पौधा देकर कार्यक्रम में शामिल लोगों को सम्मानित करते हुए कहा कि पुत्र साथ छोड़ सकता है परंतु पेड़ नहीं।
उक्त मौके पर तिब्बत से आए बौद्ध भिक्षु धर्मगुरु दोरजें तेनज़िंग और सीतापुर गुतुरमा निवासी क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी भोला प्रसाद गुप्ता ने अपने संबोधन में पर्यावरण के क्षेत्र में एक लंबे अरसे से पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल के द्वारा किये गए उल्लेखनीय कार्यों की काफी सराहना की। कार्यक्रम में दोजेंतेनजिम,पेमादोरजें ,तशीवागंडू ,करसाडावममो, ग्राम पंचायत डाली बाजार के उप मुखिया अफजाल अंसारी,दिनेश प्रसाद गुप्ता, रुपेश प्रसाद, मुकेश प्रसाद, दोवेश प्रसाद राकेश प्रसाद यादव के साथ कई प्रमुख लोग व बौद्ध भिक्षु शामिल थे।