प्रकृति संरक्षण के महापर्व सरहुल,ईद के साथ-साथ समाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फूले व सिद्धो-कान्हों की जयन्ती पर प्रकृति व संविधान रक्षा का संकल्प लें : शत्रुघ्न कुमार शत्रु


प्रतिनिधि, पलामू :
मेदिनीनगर प्रखण्ड के सुवा ग्राम में आदिवासी महासभा के तत्वावधान  में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी/मूलवासी महिला/पुरुषों ने प्रकृति संरक्षण के महापर्व "सरहुल" के अवसर पर सम्मान समारोह आयोजित कर आदिवासी परंपरा और संस्कृति को जीवंत कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन आदिवासी महासभा के युवा तुर्क अजय सिंह चेरो ने किया, वहीं इस समारोह को सफल बनाने में मेदिनीनगर के उप प्रमुख शीतल सिंह चेरो, त्रिपुरारी सिंह चेरो,सुनिल जी समेत अन्य लोगों ने महती भुमिका अदा की। कार्यक्रम के प्रारंभ में आदिवासी परंपरा के नृत्य-गीत व संगीत की मनमोहक प्रस्तुति के बाद हाथ धुलवाकर  सभी आगंतुक अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में सुवा एवं आसपास के पंचायतों के सभी मुखिया, पंचायत समिति सदस्य,वार्ड सदस्य,पूर्व मुखिया प्रतिनिधियों,रामनवमी समिति के पदाधिकारियों,पूर्व जिला पार्षद अर्जुन सिंह,ईश्वरी महतो, एससी,एसटी, ओबीसी एण्ड माइनारिटीज एकता मंच के रवि पाल,टाईगर रौशन मेहता,राजू रजक, झारखण्ड क्रांति मंच के संस्थापक सह केन्द्रीय अध्यक्ष शत्रुघ्न कुमार शत्रु समेत आदिवासी व मूलवासी समाज के सभी गण्यमान महिला/पुरुषों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी पंचायत प्रतिनिधियों व गण्यमान लोगों ने सरहुल पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं व बंधाई देते हुए प्रथम बार इस तरह के आयोजन के लिए महासभा की प्रसंशा की। सम्मान समारोह के मुख्य वक्ता के तौर पर सभा को सम्बोधित करते हुए झारखण्ड क्रांति मंच के संस्थापक सह केन्द्रीय अध्यक्ष शत्रुघ्न कुमार शत्रु ने कहा कि आज का दिन ना केवल प्रकृति संरक्षण के महापर्व सरहुल मनाने का दिन है,बल्कि आज सद्भाव ,भाईचारे,एकता व प्रेम का प्रतिक "ईद उल फितर" पूरा विश्व मना रहा है।आज ही समाजिक क्रांति व स्वाभिमान के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा राव फूले जी व झारखण्डी उलगुलान के महान योद्धा सिद्धो-कान्हों जी की भी ऐतिहासिक जयन्ती हम मना रहे हैं।

आज जबकि पूरा विश्व क्लाइमेट चेंज का विभत्स रुप झेलने को मजबूर हैं,ऐसे में महान आदिवासी परंपरा व संस्कृति से जूड़ा प्रकृति संरक्षण का त्योहार "सरहुल" हमें हमेशा जल,जंगल, जमीन बचाने के लिए प्रेरित करता है।हम सभी धर्म व पंथ के लोगों से आपसी सद्भाव और प्रेम से मिलकर पर्व व त्योहार मनाते हुए प्रकृति व संविधान की रक्षा के लिए संकल्प लेने की अपील करते हैं।

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